धर्म हेत साका जिन किया, शीश दिया पर सिर न दिया
गुरुद्वारों में सजाए गए धार्मिक दीवान
जींद
नौंवी पातशाही गुरु तेग बहादुर साहिब के 443वें शहीदी गुरुपूर्व के अवसर पर जिलाभर के सभी गुरुद्वारा में वीरवार को धार्मिक दीवान सजाए गए। जिसमें रागी जत्थों द्वारा गुरबाणी कीर्तन किया गया। गुरुघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि सिंह सभा गुरुद्वारा भारत सिनेमा रोड प्रबंधक कमेटी द्वारा शहर में नगर कीर्तन निकाला गया जिसमें गुरुद्वारा तेग बहादुर पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं सहित अन्य स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया। इसमें छोटे-छोटे बच्चों को पंच प्यारों की वेषभूषा में सजाया हुआ था। उनके पीछे-पीछे बच्चे रंग बिरंगी पौशाकों में डम्बल एवं पीटी शो करते चल रहे थे। नगर कीर्तन में छात्र-छात्राओं का पंजाबी भंगड़ा व गिद्दा आकर्षण का केंद्र रहा। नगर कीर्तन के साथ-साथ सरब सांझा कीर्तन जत्थे के साथ-साथ सुखमणी सेवा सोसायटी के सेवादार भी समूह संगत के सहयोग से गुरु तेग बहादुर की शहादत का गुणगान करते हुए सतनाम वाहेगुरु का जाप जपते चल रहे थे। नगर कीर्तन गुरुद्वारा सिंह सभा से चल कर शिव चौंक, पंजाबी बाजार, तांगा चौंक, मेन बाजार, रानी तालाब से होते हुए गुरुद्वारा तेग बहादुर में संपन्न हुआ। यहां पर गुरुद्वारा मैनेजर परमजीत सिंह व गुरुद्वारा गुरुतेग बहादुर साहिब के हैड ग्रंथी ज्ञानी रणजीत सिंह द्वारा नगर कीर्तन का स्वागत किया गया। इस अवसर पर गुरुद्वारा तेग बहादुर साहिब में आयोजित धार्मिक दीवान में रागी भाई जसबीर सिंह के रागी जत्थे ने धर्म हेत साका जिन किया, शीश दिया पर सिर न दिया, साधो मन का मान त्यागो गुरुबाणी शब्दों द्वारा अपने गुरु का यश गायन किया। गुरुद्वारा साहिब में हैड ग्रंथी ज्ञानी रणजीत सिंह ने संगतों को संबोधित करते हुए कहा गुरुद्वारा तेग बहादुर साहिब को शहीदी सूरमा बताया कि इतना बड़ा कदम उठाने से पहले गुरु जी ने अपने राज पाट तथा जान की बिल्कुल परवाह नहीं की। सेवा और त्याग की भावना से परिपूर्ण होकर ही उनके बाद दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने हिंदू धर्म की रक्षा की खातिर अपना सारा ही परिवार कुर्बान कर दिया था। कथावाचक ज्ञानी गुरविंद्र सिंह ने अपने व्याख्यान में गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह व उनके चारों पुत्रों द्वारा हिंदू धर्म की रक्षा के लिए मुगल सेना से डटकर मुकाबला किया। वहीं गांव खरकभूरा में भी शहीदी गुरु पर्व मनाया गया। गुरुघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि गांव खरकभूरा स्थित गुरुद्वारा में भाई गुरमीत सिंह के कविश्री जत्थे ने गुरुतेग बहादुर साहिब की शहादत का व्याख्यान किया। उल्लेखनीय है कि जब गुरु तेग बहादुर साहिब आनंदपुर साहिब से दिल्ली चांदनी चौंक शहीदी के लिए जाते-जाते गांव खरकभूरा में रात्रि विश्राम किया था तथा उसके पश्चात गांव खटकड़ से होते हुए जींद पहुंचे थे। यहां उस समय साधुओं का डेरा था। इन्हें गुरु तेग बहादुर साहिब ने साधो मन का मान त्यागो की बात कहते हुए गुरुज्ञान दिया था। उन्होंने सिख धर्म में रहते हिंदू धर्म की रक्षा की रक्षा के खातिर अपना सरबंश कुर्बान कर विश्व में अनूठी मिसाल दी थी। इससे पहले अमृत सवेरे सिख श्रद्धालुओं ने गुरुद्वारा साहिब में जाकर अपने गुरु श्री गुरु ग्रंथ साहिब के समक्ष मत्था टेक कर गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत को नमन किया। इस मौके पर सिंह सभा गुरुद्वारा भारत सिनेमा रोड के प्रधान सुरेंद्र सिंह टक्कर, गुरविंद्र सिंह, अनिल ठुकराल, दर्शन सिंह कोचर, महेंद्र सिंह, कुलदीप विर्क, लाडी चीमा, रामसिंह दुग्गल, हरबंस सिंह, सरदार सिंह, जसबीर सिंह टीटी, कमलजीत ग्रेवाल व अजीत सहित गुरुद्वारा तेग बहादुर पब्लिक स्कूल का स्टाफ मौजूद रहा।
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