Wednesday, 8 November 2017

...अब प्रदेश में ही तैयार होंगे ट्रेंड शिक्षक

प्रशिक्षण देने के लिए नहीं बुलाने होंगे बाहर से शिक्षक
पीआरजी के माध्यम से शिक्षा क्रियाकलापों, शिक्षा नियमों की जानकारी

 जींद 
प्रदेश का विद्यालय शिक्षा निदेशालय प्रदेश में ही ट्रेंड शिक्षक तैयार करने पर फोकस कर रहा है। इसके लिए विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश में परमानैंट रिसोर्स ग्रुप (पीआरजी) के सदस्य बनाने का फैसला लिया है। इस समूह के माध्यम से शिक्षकों को शिक्षा के क्षेत्र में अभी तक हुए क्रियाकलापों, शिक्षा क्षेत्र को शासित और संचालित करने वाले सभी नियमों, कानूनों, नीतियों और योजनाओं, शिक्षा शास्त्र, बाल मनोविज्ञान आदि के बारे में जानकारी दी जाएगी। पीआरजी गठित करने के पीछे उद्देश्य यह है कि प्रदेश का शिक्षक ही अन्य शिक्षकों को प्रशिक्षण दे और बाहर से ट्रेनिंग देने के लिए आने वाले शिक्षकों पर होने वाला खर्च और अन्य दिक्कतों को दूर किया जा सके। विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारी, मौलिक शिक्षा अधिकारियों और डाइट को पत्र जारी करके परमानैंट रिसोर्स ग्रुप (पीआरजी) गठित करते हुए इसकी सदस्यता के लिए अच्छा की अभिव्यक्ति के लिए लिखा है। यह ग्रुप प्रदेश में ऐसे शिक्षक तैयार करेगा, जो हर मामले में निपुण हो। ग्रुप में ऐसे शिक्षकों को शामिल किया जाएगा, जो हिंदी और अंग्रेजी में संप्रेषण के लिए स्वयं पर विश्वास रखता हो। प्रशिक्षण के लिए अपने आवास अथवा कार्य स्थल से अस्थायी तौर पर दूर जाने के लिए तैयार हो। जन समूह के समक्ष भाषण अथवा प्रशिक्षण दे सकता हो। रोचक तरीके से प्रस्तुति करने का अनुभव हो। शिक्षा और राष्ट्र के विकास के लिए सकारात्मक सोच रखता हो। शिक्षा विभाग ने सभी डीईओ, डीईईओ और डाई के प्राचार्यों को ऐसे शिक्षकों की तलाश करने के लिए कहा है। इन शिक्षकों में जेबीटी, सी एंड वी, पीजीटी, पीआरटी आदि को शामिल किया जाएगा। जो ाी शिक्षक इस ग्रुप में शामिल होना चाहता है, उसे डीईओ कार्यालय में अपना आवेदन भरना होगा।
बाहरी व्यक्ति को प्रदेश में शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के लिए बुलाते थे 
इस समय सरकार द्वारा बाहरी व्यक्ति को प्रदेश में शिक्षकों को ट्रेनिंग देने के लिए बुलाया जाता था। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ भी बढ़ता था और काफी खामियां रह जाती थी। विभाग से बाहर का कोई भी संसाधन व्यक्ति विभाग की कार्य प्रणाली और सीमाओं से अनभिज्ञ होने के कारण प्रशिक्षणार्थियों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब नहीं दे पाता था। बार-बार बाहरी व्यक्ति को बुलाने से दिक्कत होती थी। अब विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने पीआरजी के माध्यम से प्रदेश में ही ऐसे शिक्षक तैयार करने का निर्णय लिया है, जो प्रदेश के शिक्षकों को ट्रेनिंग दे सके। 

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