इलाज के लिए दर-दर भटके लोग
नागरिक अस्तपाल में उमड़ी लोगों की भीड़
प्रदर्शन में भाग लेने के लिए दिल्ली रवाना हुए चिकित्सक
जींद
नेशनल इंटीग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर सोमवार को जिलाभर के निजी अस्पताल, क्लीनिक और नर्सिंग होम बंद रहे। निजी क्लीनिकों के बंद रहने से जहां मरीजों को उपचार के लिए भटकते देखा गया वहीं नागरिक अस्पताल में भी मरीजों की भारी भीड़ उमड़ी। निजी चिकित्सक नीति आयोग के प्रस्तावित विधेयक की शर्तों का विरोध कर रहे हैं और सरकार द्वारा उनकी मांगों पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा रहा है। जिसके चलते यूनियन ने दिल्ली में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था और इसी निर्णय के अनुसार निजी चिकित्सक दिल्ली में प्रदर्शन में भाग लेने के लिए रवाना हुए। नेशनल इंटीग्रेटिड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा)के आह्वान पर सोमवार को निजी अस्पतालों के संचालक अपने-अपने चिकित्सा संस्थानों को बंद कर दिल्ली प्रदर्शन में भाग लेने के लिए रवाना हुए। एसोसिएशन प्रधान डा. रविंद्र गोयल ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के विरोध में नीमा द्वारा राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया गया है। सरकार आयुर्वेद पद्धति से जुड़े चिकित्सकों को गलत नीतियां थौंप कर परेशान करने पर आमादा है। सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्र में सभी राज्य सरकार बीएएमएस और बीओएमएस डॉक्टरों के समर्थन के आधार पर स्वास्थ्य सेवाएं चला रही हैं। मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने ग्रामीण इलाकों में बंधन की सेवा निभानी है लेकिन ये डॉक्टर अस्पताल नहीं आते हैं और बीएएमएस डॉक्टरों द्वारा ही मरीजों का इलाज किया जा रहा है। यहां तक कि शहरों में, सभी बड़े मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों में भी इन चिकित्सकों द्वारा सेवाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब बीएएमएस के चिकित्सक गंभीर से गंभीर रोगियों का उपचार करते हैं तो उन्हें एमबीबीएस डॉक्टरों के साथ बराबर क्यों नहीं किया जाना चाहिए। एनआईएमए ने मांग की है कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति का एक हिस्सा है जिसे राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य होना चाहिए। केंद्रीय चिकित्सा परिषद (सीसीआईएम) जो वर्तमान में आयुर्वेदिक डॉक्टरों को नियंत्रित करती है। वर्तमान में एक निर्वाचित निकाय है लेकिन अगर एनसीआईएसएम विधेयक अपने ड्राफ्ट फार्म में पारित हो जाता है तो इसमें सभी सरकारी नामांकित व्यक्ति होंगे और आयुर्वेदिक डॉक्टरों को कोई सुरक्षात्मक कवर नहीं होगा। जो कानूनी तौर पर होगा। एनआईएमए आयुर्वेदिक डॉक्टरों के लिए एलोपैथिक डॉक्टरों के रूप में सुरक्षा चाहता है। यह आयुर्वेदिक पोस्ट ग्रेजुएट के लिए समान पदवी चाहता है।
निजी अस्पतालों के बाहर बंद के बोर्ड चस्पाए
निजी चिकित्सकों द्वारा दिल्ली कूच करने से पहले अपने-अपने चिकित्सालयों के बाहर नीमा एसोसिएशन के बोर्ड चस्पा किए गए जिस पर एसोसिएशन की मांगों को दिखाया गया था। इसके अलावा मरीजों को आने वाली परेशानियों के लिए भी माफी मांगी गई। शहर पूर्ण रूप से निजी चिकित्सालय बंद रहने से आमजन को भारी परेशानी उठानी पड़ी। उपचार के लिए लोग इधर से उधर भागते नजर आए।
नागरकि अस्पताल में बढ़ी ओपीडी
जिला मुख्यालय स्थित नागरिक अस्पताल में आम दिनों में 600 से 700 की ओपीडी होती है लेकिन सोमवार को दो दिन बाद अस्पताल खुले और ऊपर से जिलाभर के निजी अस्पताल भी बंद होने के चलते अस्पताल में मरीजों की भारी उमड़ी। यहां भी लोगों को उपचार नहीं मिल पाया क्योंकि चिकित्सकों की कमी झेल रहे नागरिक अस्पताल में गंभीर रोगों का उपचार हो पाना मुश्किल है। ऐसे में लोगों को उपचार के लिए इधर से उधर भटकते देखा गया।
क्या कहना है लोगों का
जींद निवासी राधिका, पूजा, सचिन व अमित ने बताया कि उनके परिजनों को बुखार है। सुबह जब वह पटियाला चौक पर निजी अस्पताल में उपचार के लिए पहुंचे तो उन्हें वो बंद मिले। जिसके चलते उन्होंने नागरिक अस्पताल का रूख किया तो यहां लोगों की भारी भीड़ थी। एक-एक घंटे के बाद उनका नंबर आया और चिकित्सक ने भी केवल यहां एक मिनट में ही पर्ची पर लिख कर दवा दे दी। उन्होंने कहा कि निजी चिकित्सकों को चाहिए था कि वो आमजन की भी सोचते कि उनकी हड़ताल से आमजन को किस कदर परेशानी हो सकती है।
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