Saturday, 11 November 2017

जमानती की जमानत राशि होगी जब्त

पैरोल पर आए बंदी, कैदी के भगौड़ा होने पर जमानत राशि की जाएगी जब्त
जमानत राशि जमा न होने पर संपति को किया जाएगा जब्त

 जींद 
पैरोल पर आए बंदी या कैदी के भगौड़ा होने पर जमानती द्वारा निश्चित करवाई गई जमानत राशि जमा करवाएं। जमानत राशि जमा नहीं करवाने की सूरत में जमानती द्वारा जमानतनामे में दर्शाई गई संपत्ति को जब्त कर लिया जाएगा। इस आश्य के दो निर्णय गत दिवस जिलाधीश अमित खत्री ने अपनी अदालत में दिए हैं। जींद के सैनी मौहल्ला निवासी रणबीर सिंह पुत्र देशराज तथा शामलों कलां के जगफूल सिंह पुत्र रामचंद्र ने अलग-अलग केसों में पैरोल, फर्लाे पर आए कैदी, बंदी की जमानत दी थी। कैदी या बंदी निर्धारित तिथि को जेल में उपस्थित नहीं हुए। कैदी अथवा बंदियों के जमानती भी जिलाधीश के न्यायलय में उपस्थित नहीं हुए। जिलाधीश अमित खत्री ने न्यायालय के आदेशों की अवमानना करने की सूरत में इसपर त्वरित आधार पर कार्यवाही करते हुए दोनों केसों के जमानतियों को निर्धारित दो-दो लाख रुपये की जमानत राशि जमा करवाने के  संबंधित तहसीलदार को इन आदेशों की अनुपालना करने हेतू निर्देश दिए है। यदि जमानती निर्धारित जमानत राशि जमा नहीं करवाता है तो उसके द्वारा जमानतनामें में दर्शाई गई सम्पत्ति को कुर्क करने के लिए कार्यवाही अमल में लाने के लिए आदेश जारी किए है। जिलाधीश ने बताया कि फर्लो, पैरोल पर आए बंदी-कैदी बेल जम्पर हो जाते हैं। ऐसे में इनकी जमानत देने वाले जमानतियों के विरूद्ध कार्यवाही नहीं होने जैसी बाते सामने आई है। जिलाधीश ने ऐसे जिला के दो जमानतियों को जमानत राशि जमा करवाने तथा जमानत राशि जुर्माना करवाने की सूरत में पशोई गई संपति जब्त करने के आदेश जारी किए है। अगर ये जमानती  निर्धारित जमानत राशि जमा नहीं करवाते तो इनकी जमानतना में में दशाई गई सम्पत्ति को कुर्क कर लिया जाएगा। जिलाधीश ने बताया कि कुछ लोग पैसे के लालच में आकर किसी बंदी, कैदी की जमानत ले लेते हैं। जब वह बंदी-कैदी पैरोल फर्लाे की अवधि समाप्त होने के बाद दोबारा जेल में नहीं जाता है तो ऐसे व्यक्ति को जेल जंपर घोषित कर दिया जाता है और पुलिस प्रशासन के काम में अनावश्यक बढ़ोत्तरी हो जाती है और जमानत देने वाली व्यक्ति इस अपराध से बचने की फिराक में रहते है। अब इस प्रकार के केसों में  जमानत देने वाले लोग बच नहीं पाएंगें। उन्हें या तो निर्धारित जमानत राशि जमा करवानी होगी अन्यथा उन द्वारा जमानतनामेें में दशाई गई सम्पति को जब्त कर लिया जाएगा। गौरतलब है कि कैदी-बंदी को कृषि के काम के लिए छह सप्ताह की पैरोल-छुट्टी का प्रावधान है। इसी प्रकार बच्चों के दाखिले के लिए चार सप्ताह तथा मकान की मुरम्मत के लिए चार सप्ताह की छुट्टी लिए जाने का प्रावधान है। इसी प्रकार परिवार से मिलने तथा जेल में ठीक आचरण होने पर भी छुट्टी-फर्लों लिए जाने का प्रावधान है। जिला के सभी तहसीलदार या उप-तहसीलदार जमानतियों द्वारा बार-बार जमानत देने से पूर्व उनकी संपति का पूर्ण विश्लेषन कर लेवें कि जमानती ने पूर्व में दी गई जमानत वाला बंदी वापिस जेल में निश्चित अवधि में हाजिर हो गया है या नहीं। 

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