पशुपालन विभाग ने शुरू किया गौवंश के रजिस्ट्रेशन का काम
अब तक 15 हजार पशुओं की हो चुकी टैगिंग
गौवंश के गायब होने पर तुरंत लगेगा पता
जींद : जिले में पशु पालन विभाग द्वारा गौवंश का रजिस्ट्रेशन करने का काम शुरू किया गया है। अब तक 15 हजार पशुओं की टैगिंग विभाग कर चुका है। टैगिंग के पीछे मकसद यह है कि शहर में कोई भी पशुपालक अपने पशु को आवारा नहीं छोड़ पाएगा। अब पशु के जन्म के बाद ही पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं की टैगिंग की जा रही है। किसी पशुपालक का पशु चोरी होने पर उसका पता लगाने में भी आसानी रहेगा। इसके अलावा विभाग ने नंदीशाला और गौशालाओं में पशुओं की टैगिंग के बाद अब गांवों की ओर रूख किया है।
जींद जिले में पशुपालन विभाग ने शहर में आवारा पशुओं की संख्या नहीं बढ़े, इसी को ध्यान में रखते हुए गौवंश की टैगिंग करने का काम शुरू किया है। कई लोग बछड़े के जन्म के बाद उसे छोड़ देते हैं। अब ऐसे लोगों की प्रशासन आसानी से पहचान कर सकेगा कि किस पशुपालक ने यह बछड़ा छोड़ा है। पशुपालन विभाग द्वारा पशुओं का जो रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है, यह सिस्टम पूरी तरह जन्म प्रमाण पत्र की तरह है। इसमें रजिस्ट्रेशन के साथ गौवंश की मालकीयत का भी पूरा विवरण होगा। गौवंश को आवारा छोड़ते ही उसके मालिक का पूरा विवरण सामने आ जाएगा। ऐसे हालातों में गौवंश के आवारा छोडऩे पर अंकुश लग सकेगा। आवारा पशुओं की बढ़ती संख्या से भी निजात मिल जाएगी।
बॉक्स
अब तक 15 हजार गौवंश की टैगिंग
अब तक जिले में लगभग 15 हजार गौवंश को टैग किया जा चुका है, जबकि रजिस्ट्रेशन की मुहिम अब चलाई जा रही है। प्रदेश भर में आवारा पशु बड़ी समस्या बने हुए हैं। इसमें ज्यादातर आवारा पशु बछड़े हैं। प्रदेश सरकार ने जिला स्तर पर नंदीशाला बनाकर इनमें गौवंश को बंद किया है। कागजातों में जिलों को आवारा पशु से मुक्त कर दिया गया। इसके बावजूद बड़ी तादाद में आवारा गोवंश अब भी समस्या बने हुए हैं।
बॉक्स
नंदीशाला और गौशाला के बाद अब गांवों की ओर रूख
आवारा गौवंश की समस्या से निपटने के लिए पशु पालन विभाग ने गौवंश का रजिस्ट्रेशन करने का निर्णय लिया है। पहले नंदीशाला तथा गौशालाओं में गौवंश को टैग किया। इसके बावजूद हालात नहीं बदले तो अब पशु पालन विभाग ने पशु पालकों की ओर रूख किया है जो गौवंश को पाल रहे हैं। कोई पशु पालक गोवंश को आवारा नहीं छोड़े, इसके लिए पशु पालन विभाग घर-घर जाकर गौवंश का रजिस्ट्रेशन करेगा और उन्हें टैग लगाएगा। रजिस्ट्रेशन का जिम्मा संबंधित गांव के पशु चिकित्सक करेंगे।
बॉक्स
गौवंश की संख्या और सारा विवरण होगा दर्ज
पशुपालन विभाग के अधिकारी गांवों में जाकर गौवंश की संख्या, जन्म लेने वाला गौवंश, गौवंश का मालिक का नाम दर्ज करेंगे। गौवंश के रजिस्ट्रेशन तथा टैग के बाद गौवंश को आवारा छोडऩे पर झट से मालिक का पता लग जाएगा। इसके आधार पर मालिक के खिलाफ भी गौवंश को आवारा छोडऩे पर कार्रवाई की जा सकती है। दूसरा पहलू यह भी है कि गौवंश के गायब होने पर रजिस्ट्रेशन के माध्यम से उसका सुराग भी लग जाएगा।
बॉक्स
आवारा गौवंश की घटेगी संख्या : डॉ. रणबीर
पशु पालन विभाग के उपनिदेशक डा. रणबीर सिंह ने बताया कि शहर में आवारा गौवंश की संख्या नहीं बढ़े, इसी को ध्यान में रखते हुए गौवंश की टैगिंग की जा रही है। अब तक 15 हजार पशुओं की टैगिंग हो चुकी है। आवारा पशु छोडऩे पर पशु के मालिक की पहचान करने में टैगिंग के बाद आसानी रहेगी और आवारा पशु मालिक के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जा सकेगी।
No comments:
Post a Comment