Saturday, 11 November 2017

किसानों को खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन भी करना चाहिए : डीसी

मत्स्य पालन से हो सकती है अतिरिक्त आमदनी
भैरोखेड़ा में लिया मत्स्य पालन कार्य का जायजा

जींद
डीसी अमित खत्री ने कहा कि किसानों को खेती के साथ-साथ मत्स्य पालन भी करना चाहिए। मत्स्य पालन से उन्हे अच्छी खासी आमदनी हो सकती है। जिससे वे अपने जीवन स्तर को ऊंचा उठा सकते हैं। सरकार द्वारा मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए अनेक योजनाएं लागू की हैं और किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए तभी योजनाओं को लागू करने का औचित्य सही साबित होगा। डीसी अमित खत्री शुक्रवार को मत्स्य पालन विभाग द्वारा भैरोखेड़ा गांव में आयोजित मत्स्य विकास गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व डीसी ने भैरोखेड़ा गांव के तालाबों में हो रहे मछली पालन का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने मत्स्य पालकों से सीधी बातचीत की और कहा कि  वे गांव के अन्य किसानों को भी मत्स्य पालन के लिए प्रोत्साहित करें। उन्होंने कहा कि इस व्यवसाय के माध्यम से किसान अच्छी खासी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। सरकार द्वारा अनेक ऐसी योजनाएं लागू की है, जिनमें से कई योजनाओं पर 50 प्रतिशत अनुदान भी दिया जा रहा है। इस दौरान डीसी ने तालाब से मछलियां निकलवा कर भी जायजा लिया। डीसी ने कहा कि मत्स्य पालन के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी नवीन तकनीक आई हैं। जिससे खारे पानी में भी मत्स्य पालन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एक ऐसा प्रोजैक्ट चलाया जा रहा है जिसके तहत एक हैक्टेयर क्षेत्र में मछली पालन करने पर 25 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाती है। जिसपर 5० प्रतिशत अनुदान भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। अमरगढ़ गांव में इसी तरह का एक मछली पालन प्रोजैक्ट शुरू हुआ है। किसान इस प्रोजैक्ट को देखकर मत्स्य पालन के क्षेत्र में उतर सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक एकड़  में क्षेत्र में मत्स्य पालन कर मत्स्य पालक तीन लाख रूपए तक कमा सकता है। आजकल मछली बिक्री में भी कोई दिक्कत नहीं आती है क्योंकि प्रदेश में मछली खरीद के लिए कई सैंटर चल रहे है। दिल्ली की निकटता होने के कारण मछली को वहां भी बेचा जा सकता है। वहां दाम भी अधिक मिल सकते हैं। डीसी ने मत्स्य पालकों से कहा कि वे लोगों के साथ मत्स्य पालन के अनुभव सांझा करें। इस पर मत्स्य पालक चांदराम ने किसानों को बताया कि जमीनी पानी खारा होने की वजह से कृषि करना काफी मुशिकल कार्य हो गया था। जब मैं मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों के संपर्क में आया तो उन्होंने मत्स्य पालन करने की सलाह दी। आज अपने खेत में तालाब बनवाकर मछली पालन कर लाखों रूपए कमा रहा हूं। उन्होंने मत्स्य पालन विभाग द्वारा समय-समय पर उपलब्ध करवाए जा रहे सहयोग की भी प्रशंसा की। डीसी ने मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे ग्राम पंचायतों को सभी पंचायती तालाबों को पट्टे पर देने के लिए प्रेरित करें ताकि उन्हें अच्छी आमदनी प्राप्त हो और गांव के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध हो सकें। डीसी ने कहा कि अक्सर ग्रामीण तालाबों में मछली पालन इसलिए नहीं करवाना चाहती क्योंकि  उन्हें शंका होती है कि मछलियां भैंसों के थनों को काट देती है। जिसे पशुधन खराब हो जाता है। उन्होंने कहा कि थनों को काटने वाली जंगली मछलियों के बीजों को तालाबों में न डलवाएं। तालाबों में उन्हीं मछलियों के बीज डलवाएं जो पानी को साफ करती है और पशुओं को किसी प्रकार का कोई नुक्सान नही पहुंचाती। इस अवसर पर जिला मत्स्य अधिकारी युद्ववीर सिंह तथा कई विभागों के अधिकारी उपस्थित रहे। 

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