श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्रोताओं को बताया ब्रह्म ज्ञान
जींद
अखिल भारतीय सोहम महामंडल शाखा जींद के तत्वावधान में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्रोताओं को संबोधित करते हुए सोहम पीठाधीश्वर स्वामी सत्यानंद महाराज ने कहा कि इस संसार रूपी समुंद्र से पार जाने के लिए चार पुरूषार्थ साधने योग्य हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। परंतु मोक्ष ज्ञान के बिना नहीं होता है। सत शास्त्रों से या श्री सद्गुरुदेव के उपदेश से होता है, यह बात संपूर्ण वेद शास्त्रों के यथार्थ विचार करने वाले संतजनों से निर्णीत है परंतु वह मोक्ष की आत्मस्वरूप के साक्षात ज्ञान से होता है। उन्होंने कहा कि अनेक श्रुतियों के प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि ऋते ज्ञानान्न मुक्ति: कि ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं होती। इसीलिये हर व्यक्ति को परमात्मा प्राप्ति का दृढ़ निश्चय करना पड़ेगा और ज्ञान के भी प्राप्त करना है। महामंडेश्वर स्वामी शुकदेवानंद महाराज ने कहा कि जो मनुष्य अपने परिवार में उदारता, दूसरों पर दया, दुर्जनों से दुष्टता साधुओं से प्रेम, शत्रु से अभिमान और विद्वानों के साथ सरलता से व्यवहार, शत्रुओं से वीरता, बड़े लोगों से पाला पडऩे पर मूर्खता से व्यवहार नहीं करता। उनकी लोक मर्यादा सदैव रहती है। स्वामी शिवचेतन, स्वामी ज्ञानानंद, स्वामी निगमानंद, स्वामी नारायणानंद, स्वामी अन्तस्वरूपानंद आदि ने भी अपने-अपने अनुभव प्रकट किए। श्रीमद्भागवत कथा में पंडित रामगोपाल शास्त्री ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्मलीला का वर्णन किया और उनका जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया, जिसमें भगवान की सुंदर झांकी का भी दर्शन कराया। साथ ही रसिक भजनों के द्वारा श्रद्धालुओं को आनंद विभोर किया।
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