Wednesday, 8 November 2017

जिला कारागार में ऑन लाइन ट्रांजैक्शन सुविधा शुरु

कैदियों के परिजनों को राशि जमा करने के लिए नहीं जाना होगा जेल
एचडीएफसी बैंक खाते को फिनिक्स साफ्टवेयर के साथ जोड़ा
घर बैठे ही कैदी तक पहुंचाई जा सकेगी राशि

जींद
जेलों में बंद कैदियों तथा हवालातियों को कैंटीन व अन्य खर्चो के लिए अभिभावकों को राशि जमा करवाने के लिए जेल के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। घर बैठे ही अभिभावक ऑनलाइन सिस्टम से कैदी के खाते में राशि जमा करवा सकेंगे। जेल प्रशासन ने अपने इंटरनल फिनिकस साफ्टवेयर को एचडीएफसी बैंक के खाते से जोड़ा है। जिसके साथ ही जींद जेल देश की एकमात्र सुविधा उपलब्ध करवाने वाली पहली जेल बन गई है। दिसम्बर तक प्रदेश की सभी जेलों में यह सुविधा उपलब्ध करवाने का टारगेट है। 
बंदी ने ही तैयार किया साफ्टवेयर
फिनिक्स साफ्टवेयर बंदी अमित मिश्रा द्वारा बनाया गया था। जेल से रिहा होने के बाद अमित मिश्रा ने अपनी खुद की आईटी कंपनी बनाई। अमित मिश्रा ने ही यह साफ्टवेयर जेल प्रशासन को मुफ्त में उपलब्ध करवाया है। इस साफ्टवेयर में सभी कैदियों व बंदियों की पूरी हिस्टरी दर्ज है। सभी जेलों की कैंटिनों को नगदी रहित किया जा चुका है। कैदियों व बंदियों के अंगूठों के निशान जेल प्रशासन के कंप्यूटर में दर्ज हैं। जिसके जरिए वे कैंटीन से खरीददारी कर सकते हैं। अंगूठा लगाते ही कैदी का कैंटीन से जुड़ा पूरा रिकार्ड स्क्रीन पर आ जाएगा। कितनी खरीददारी हुई, कितना शेष बची इसका पूरा विवरण ऑन लाइन होगा। कैदी तथा बंदी रसीद भी हासिल कर सकता है। 
पहले क्या था, अब क्या करना होगा
जेल नियमों के अनुसार जेल में बंद लोगों के परिजन रोजमर्रा के खर्चो के लिए उसे मासिक तौर पर छह हजार रुपये दे सकते थे। अभी तक यह राशि स्वाइप मशीन या क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लिया जाता था। जिसके लिए जेल प्रशासन को काफी कागज कार्रवाई करनी पड़ती थी। अब जिस कैदी व बंदी के खाते में राशि जमा करवानी है उसे जेल विभाग की वेबसाइट पर जाना होगा। जिसमे पैसा जमा करवाने का विकल्प होगा। कैदी तथा बंदी का नम्बर दर्ज करना होगा, जिसके बाद रजिस्ट्रड मोबाइल नम्बर पर ओटीपी नम्बर आएगा। कंप्यूटर में फिड करते ही कैदी व बंदी का फोटो सामने आ जाएगा। 
छह हजार से ज्यादा की राशि नहीं होगी जमा
जेल में ऑन लाइन ट्रांजैक्शन सुविधा के तहत छह हजार से ज्यादा की राशि कैदी के खाते में जमा करवानी होगी। अगर कोई दूसरा व्यक्ति उसी कैदी के खाते में राशि जमा करवाना चाहता है तो और कैदी के खाते में पहले राशि जमा हो चुकी है इस सूरत में कंप्यूटर आगे काम नहीं करेगा। हालांकि पहले भी राशि की लिमिट छह हजार रुपये थी लेकिन उसमे जेल प्रशासन को कागज कार्रवाई ज्यादा करनी पड़ती थी। 
ई कस्टडी के बाद ऑन लाइन ट्रांजैक्शन
ऑन लाइन ट्रांजैक्शन सिस्टम लागू किए जाने का श्रेय जिला कारागार के अधीक्षक हरेंद्र श्योराण को जाता है। हरेंद्र श्योराण आधुनिक तकनीकी को अपनाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भोंडसी जेल के अधीक्षक कार्यालय के दौरान आधुनिक सुविधाओं तथा सुधारों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। उनके कार्यकाल में गुरुग्राम देश की पहली ऐसी जेल बनी थी जिसमे इ कस्टडी की सुविधा शुरु हुई। जिसे जींद जेल में भी लागू किया गया। दोनों जेलों से ई कस्टडी सीधी एडवोकेट जनरल कार्यालय को भेजी जा रही है। जहां से उसे हाईकोर्ट में जमा करवा दिया जाता है। 
जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह श्योराण ने बताया कि जेल प्रशासन ने कैदी वेल्फेयर फंड के खाते को फिनिक्स साफ्टेयर के साथ जोड़ा है। यह खाता एचडीएफसी बैंक में है। इसी खाते के माध्यम से राशि कैदियों व बंदियों में ट्रांसफर हो जाएगी। साफ्टवेयर इस तरफ तैयार किया गया है कि खाते में राशि जमा होते ही सीधी बंदी व कैदी के खाते में पहुंच जाएगी। ऑन लाइन सिस्टम लागू करने वाली जींद जेल देश की पहली जेल है। 

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