बस की छत, खिड़की तथा जाल पर लटक कर नहीं कर सकेंगे यात्रा
असुरक्षित यात्रा के दौरान हादसा होने पर चालक, परिचालक होंगे जिम्मेवार
रोडवेज जीएम ने परिवहन निदेशालय के आदेशों पर जारी किए दिशा निर्देश
जींद
रोडवेज बसों में छत, खिड़की तथा पीछे जाल पर लटक कर यात्रा करने पर रोक लगा दी है। असुरक्षित ढंग से यात्रा के दौरान किसी प्रकार का कोई हादसा होता है तो सीधे तौर पर चालक तथा परिचालक को जिम्मेवार माना जाएगा। रोडवेज महाप्रबंधक ने आदेश जारी कर सभी चालक तथा परिचालकों, निरीक्षक स्टाफ को हिदायद दी है कि वे बसों में असुरक्षित तरीके से यात्रा न करने दें। ताकि हादसों से बचा जा सके। रोडवेज के बेड़े में बसों की कमी के चलते यात्रियों, छात्रों तथा छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते छात्र तथा यात्री बस की छत या बस के पीछे जाल पर या फिर खिड़की में खड़े होकर सफर करते हैं। जिसके कारण अक्सर हादसे सामने आते रहते हैं। राज्य परिवहन निदेशालय ने सभी रोडवेज महाप्रबंधकों को दिशा निर्देश जारी कर यात्रियों की जान जोखिम में न डालने के लिए कहा है। जारी दिशा निर्देशों में साफ कहा गया है कि किसी भी बस में कोई भी यात्री छत पर बैठकर यात्रा नहीं करेगा। इसके अलावा कोई भी यात्री बस के दरवाजे में नहीं खड़ा होगा और न ही बस के पीछे जाल पर लटक कर यात्रा करेगा। तीनों बिंदूओं को ध्यान में रखकर किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए दृढ़ता से पालना की जाए। आमतौर पर देखने में आया है कि काफी संख्या में बसें ओवर लोढ होकर चल रही हैं। असुरक्षित ढंग से यात्रा करते यात्रियों को देखा जा सकता है। जिससे जान पर जोखिम बना रहता है। साथ ही दिशा निर्देश दिए गए हैं कि अगर यात्रियों की संख्या किसी रूट पर ज्यादा है और बसों की संख्या कम है तो उस रूट पर अतिरिक्त बस चलाकर समस्या का समाधान किया जाए। विभाग के निरीक्षक निरीक्षण के दौरान यह भी सुनिश्चत करेंगे की कोई यात्री बस की छत या असुरक्षित तरीके से यात्रा न कर रहा हो।
आबादी बढ़ी बसों के बेड़े में संख्या हुई कम
वर्ष 1990 में जींद डिपो में लगभग 350 बसें थी। आबादी तो बढ़ी लेकिन बेड़े से बसों की संख्या कम होती चली गई। जिले की जनसंख्या लगभग 14 लाख पार कर चुकी है लेकिन रोडवेज बेडे की बसों की संख्या सिमट कर 150 रह गई है। नार्म के अनुसार रोडवेज बेड़े में 190 बस होनी चाहिए। जिले में 70 से ज्यादा रूट बसों की कमी के कारण बंद हैं। जबकि हर रोज पांच हजार से ज्यादा छात्र बसों में सफर करते हैं। इसके अलावा हजारों की संख्या में यात्री अलग से हैं।
अक्सर होते रहते हैं हादसे
बसों की संख्या कम होने के कारण और यात्रियों का दबाव ज्यादा होने के कारण असुरक्षित ढंग से यात्रा करते हुए यात्रियों को अक्सर देखा जा सकता है। कई बार हादसे भी हो चुके हैं, जिनमे यात्री गिरकर जान भी गंवा चुके हैं। सुबह तथा दोपहर को जिस समय छात्र अपने शिक्षण संस्थान या घर की तरफ रवाना होते हैं तो उस दौरान रोडवेज बसें अंदर से ही नहीं बल्कि छत भी ठसाठस भरी होती हैं और पीछे तथा खिड़कियों में लटक कर यात्रा करते हुए देखा जा सकता है। ऐसे हालातों में हादसे होने की आंशका लगातार बनी रहती है।
जींद डिपो रोडवेज के महाप्रबंधक महताब सिंह खर्ब ने बताया कि असुरक्षित तरीके से यात्रा करना जान जोखिम में डालना है। सभी चालक, परिचालकों तथा निरीक्षण स्टाफ को आदेश दिए गए हैं कि किसी भी व्यक्ति को बस की छत, खिड़की तथा पीछे जाल में लटककर यात्रा न करने दें। अगर ऐसा कुछ पाया जाता है तो संबंधित स्टाफ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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