पिल्लूखेड़ा से विहार करते हुए साध्वियां सफीदों जैन स्थानक पहुंची
सफीदों
शासन शिरोमणी महासाध्वी पन्ना देवी महाराज की पौत्र शिष्याएं व साध्वी रत्न वंदना महाराज की सुशिष्याएं साध्वी दिव्या महाराज, साध्वी मोहिनी महाराज, साध्वी अनुपे्रक्षा महाराज व साध्वी अराध्या महाराज ठाणे-4 पिल्लूखेड़ा मंडी में अपना चातुर्मास संपूर्ण करके विहार करते हुए सफीदों जैन स्थानक पहुंची। उनके आगमन सफीदों के सकल समाज ने उनका जोरदार स्वागत किया। जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए दिव्या जी महाराज ने कहा कि प्रेम एक ईश्वरीय शक्ति व सर्वव्यापक है। प्रेम भावना फूलों से भी कोमल है और प्रेम के माध्यम से लोहे जैसे पत्थर दिल को पिघलाया जा सकता है। इंसानियत का दूसरा नाम प्रेम है और जिस हद्य में प्रेम होता है, उस हद्य में देवता निवास करते हैं। संसार से दुखों का हटाने और सुखों को लुटाने में प्रेम का अहम योगदान है। प्रेम को ना देखा जा सकता है, ना चखा जा सकता है और ना ही सुंघा जा सकता है, प्रेम को केवल अनुभव ही किया जा सकता है। जहां नि:स्वार्थ व अनन्य प्रेम होता है, वहां रूखी-सुखी रोटी भी मीठे पकवान लगते हैं। शुद्ध प्रेम की विशेषता यह है कि वह कभी दूसरे के दोषों को नहीं देखता और केवल गुणों को ही ग्रहण करता है। उन्होंने कहा कि प्रेम के माध्यम ये ही हद्य के घाव भरे जा सकते हैं तथा शत्रु को वश में किया जा सकता है। प्रेम से ही पापी को पुण्यात्मा बनाया जा सकता है। संसार के समस्त विकारों के सुधारों का मूल प्रेम भावना है। प्रेम से कु्रर व्यक्ति को शांत प्रवृति वाला तथा विश्व को शांति की अमर बेल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो इंसान गुरूओं के समीप व गुरूओं की आंखों के सम्मुख रहेगा, वह सदैव बुराईयों से दूर रहेगा। देव, गुरू व धर्म को याद करते रहोगे तो ऊंचाईयों की ओर चढ़ते चले जाओगे। जीवन में अच्छे आदमी का कम बल्कि बुरे आदमी का प्रभाव जल्द पड़ता है। अच्छा साहित्य व धर्म का प्रभाव जीवन में महान बनाता है। लोग कहते हैं कि झूठ बोले बिना काम नहीं चलता लेकिन भगवान ने कहा है कि सत्य के बिना गुजारा नहीं है। सत्य दीपक के समान होता है और हमेशा प्रकाश देता है और सत्य के आगे झूठ रूप का अंधकार नहीं टिकता। अगर कोई गलती हो जाती है तो उसे मानकर आत्मा की शुद्धि कर लेनी चाहिए। भगवान के दरबार में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता और जो सत्य का कत्ल करता वह सीधा भगवान का कत्ल करता है।
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