सीटीएम, डीएसपी ने पहुंचकर दी सच्ची श्रद्धांजलि
जींद
जींद के 95 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी जयचंद का बुधवार को निधन हो गया। जींद के बनखंडी शमशान घाट में राजकीय सम्मान के साथ उनके पार्थिव शरीर को अंतिम विदाई दी। जींद प्रशासन की और से सीटीएम सत्यवान सिंह मान, डीएसपी परमजीत सिंह समोता, रेडक्रास सचिव राजकपूर सूरा, जिला ट्रेनिंग अधिकारी ईश्वर सिंह सांगवान, नारी सेवा कल्याण संस्थापक स्वामी सरोजानंद के अलावा शहर के गणमान्य लोग भी मौजूद थे। स्वतंत्रता सेनानी की शव यात्रा को बैंड बाजे व फूल मालाओं के साथ शमशान घाट तक लाया गया। पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें सलामी दी। जयचंद अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके बड़े बेटे नरेन्द्र मित्तल ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनकी पत्नी बिमला देवी भी दर्जनों महिलाओं के साथ अपने पति को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंची। उन्होंने कहा कि जयचंद एक आदर्शवादी व्यक्तितत्व के धनी थे। उन्होंने अपने जीवन में बहुत उतार चढ़ाव देखें लेकिन किसी भी परिस्थिति में उन्होंने न तो हार मानी और न ही कभी पीछे मुड़ कर देखा। आजादी की लड़ाई में उन्होंने औरंगाबाद में जेल काटी तथा देश की आजादी के लिए लड़ते रहे। आजादी की लड़ाई में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। सीटीएम सत्यवान मान ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान से ही आज हम आजादी का जीवन जी रहे हैं। आजादी के मायने क्या हैं यह सब देशवासियों के सामने हैं। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी सेनानियों को युगों युगों तक याद किया जाता रहेगा। डीएसपी परमजीत सिंह समोता ने कहा कि देश के लिए मर मिटना ही सबसे बड़ी कमाई है। अपने फर्ज, देश और डयूटी के लिए अपने प्राणों का बलिदान भी देना पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए । हमारे देश के सेनानियों पर हमें नाज है जिन्होंने भारत की आजादी के लिए हंसतें हंसतें अपने बलिदान देकर हमें आजादी दिलवाने का काम किया। ऐसे सेनानियों व शहीदों की शहादत को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।
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